अमरनाथ यात्रा क्यों करनी चाहिए ।अमरनाथ यात्रा का महत्व क्या है
अमरनाथ गुफा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है. प्राचीनकाल में इसे ‘अमरेश्वर’कहा जाता है.अमरनाथ यात्रा का जितना पौराणिक महत्व है, उतना ही ऐतिहासिक महत्व भी है। पुराण अनुसार, काशी में शिवलिंग दर्शन और पूजन से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य से हजार गुना पुण्य देने वाले बाबा अमरनाथ के दर्शन हैं।
अमरनाथ गुफा कहा स्थित है
लाखों शिवभक्त, प्राकृतिक रूप से बने शिवलिंग के दर्शन करने के लिए अमरनाथ की कठिन यात्रा करते हैं। अमरनाथ तीर्थ, जो समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह गुफा 150 फीट लंबी 100 फीट चौड़ी और काफी ऊंची है.अमरनाथ गुुफा श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर दूर है.
अमरनाथ यात्रा गुफा तक पहुंचने के कौनसा रास्ता है
अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह पहुंचने के दो रास्ते है। एक पहलगाम होकर जाता है और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से जाता है।
शिवलिंग कैसे बनता है
गुफा की परिधि लगभग 150 फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूंदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर सेंटर में एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूंदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि अन्य जगह टपकने वाली बूंदों से कच्ची बर्फ बनती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाती है। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग-अलग हिमखंड बन जाते हैं।
गुफा के सेंटर में पहले बर्फ का एक बुलबुला बनता है। जो थोड़ा-थोड़ा करके 15 दिन तक रोजाना बढ़ता रहता है और दो गज से अधिक ऊंचा हो जाता है। चन्द्रमा के घटने के साथ-साथ वह भी घटना शुरू कर देता है और जब चांद लुप्त हो जाता है तो शिवलिंग भी विलुप्त हो जाता है। चंद्र की कलाओं के साथ हिमलिंग बढ़ता है और उसी के साथ घटकर लुप्त हो जाता है। चंद्र का संबंध शिव से माना गया है। ऐसे क्या है कि चंद्र का असर इस हिमलिंग पर ही गिरता है अन्य गुफाएं भी हैं जहां बूंद बूंद पानी गिरता है लेकिन वे सभी हिमलिंग का रूप क्यों नहीं ले पाते हैं? अमरनाथ गुफा की तरह कई गुफाएं हैं। अमरावती नदी के पथ पर आगे बढ़ते समय और भी कई छोटी-बड़ी गुफाएं दिखती हैं। वे सभी बर्फ से ढकी हैं और वहां पर छत से बूंद-बूंद पानी टपकता है लेकिन वहां कोई शिवलिंग नहीं बनता।
अमरनाथ इतना प्रसिद्ध क्यों है
अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्यों कि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं।
अमरनाथ में कबूतरों का क्या रहस्य है ?
मान्यता है कि अमरनाथ धाम में शिव विराजमान हैं। ऐसा कहा जाता है कि अमरनाथ की गुफा में देवों के देव महादेव ने मां पार्वती को अमर होने के रहस्य के बारे में बताया था। बताया जाता है कि अमरनाथ की गुफा में कबूतरों का एक जोड़ा है, जो अमर हो चुका है। कबूतर के इस जोड़े के दर्शन करने से साधक अपने आपको भाग्यवान मानते हैं
अमरनाथ यात्रा का महत्व क्या है
अमरनाथ यात्रा को कुछ लोग मोक्ष प्राप्ति का तो कुछ स्वर्ग की प्राप्ति का जरिया बतलाते हैं । इस पवित्र धाम की यात्रा से 23 तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है । गुफा के एक छोर में प्राकृतिक रूप से बना हिमशिवलिंग पक्की बर्फ का होता है जबकि गुफा के बाहर मीलों तक कच्ची बर्फ ही देखने को मिलती है ।
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